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Friday, December 1, 2017

बंगलामुखी कवच

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प्रिय मित्रों,

हमारे पास रोज़ बहुत से व्हाट्सएप मैसेज, कॉमेंट, मेल आते है। हमने आपकी परेशानियां को देखते हुये एक कवच तैयार किया है।

आज के व्यस्त जीवन में हमे यह नही मालूम चलता कि कोन दुश्मन है कौन अपना है। इसलिए हमने  बंगलामुखी कवच शुभ समय में अच्छे मूहर्त में विधि विधान से तैयार किया है।
हर व्यक्ति अपने सुख से नही दूसरे के सुख से दुखी है। उससे अपना सुख कम दूसरे का सुख देख कर वैसा सुख चाहता है , भाई भाई , आस पड़ोस से, लड़ाई झगड़े, व्यापारी व्यापारी से, नौकर मालिक से, वैर विरोध, आगे निकलने की चाह में व्यक्ति दुश्मन बनता जा रहा है।

यह ईर्ष्या दुश्मनी बढ़ती बढ़ती मार पीटाई  , हत्या, कोर्ट कचहरी  आदि के मामले में बदल जाती है।

बहुत से व्यक्ति यहाँ तक कि महिला भी अपनी खुशी के लिए तांत्रिक , मारण प्रयोग,  वशीकरण आदि  तक करवाने लगते है।

घर से बाहर रहने पर हमेशा घर का ही भय रहता है, की कही कुछ अनिष्ट न हो जाये।

अब बार बार मन में एक ही सवाल आता है , करे तो क्या करे कब तक यह सब परेशानी का उपाय करते रहेंगे। इसका जबाब हमारे पवित्र ग्रन्थों में है।

यदि आप अपने जीवन में दुश्मन, कष्ट, कोर्ट कचहरी, मुकदमे, मान अपमान , कलह व भय आदि से रक्षा करनी है , तो ''बंगलामुखी कवच" विश्वास के साथ धारण करना चाहिए। बंगलामुखी देवी आपकी परेशानियां जरूर दूर करेंगी।



मीरा बाबा

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मीरा बाबा पीर है , यह भी शक्तिशाली पीर है। मीरा बाबा की पूजा बहुत लोगो के यहाँ कुलदेवता के रूप में होती है।
कही इन की पूजा सात्विक होती है, तो कही तामसी, इनकी पूजा कुछ लोग बली देकर भी करते है।
इन के साथ जैनखा वीर की पूजा ज़रूरी है। नही तो इनकी पूजा को पूर्ण नही माना जाता।
वैसे तो मीरा बाबा की पूजा अच्छे से की जाय दिल से की जाये तो सब मनोकामना पूरी होती है।
अगर कही इनकी पूजा में त्रुटि हो जाये तो सब कुछ की प्रोब्लम हो जाती है। व्यक्ति खाने के दाने दाने के लिये मोहताज़ हो जाता है। एक एक रुपये को भी तरसता है।
कुछ व्यक्तियों के यहाँ मीरा बाबा की जात भी जाती है।
आपका कोई अनुभव हो तो जरूर बताये।

अगर आपको कोई परेशानी है, तो हमसे संपर्क कर सकते है।

नज़र झारने का मंत्र:

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प्रिय मित्रों

मुझसे अनेक व्हाट्सअप मैसेज, कमेन्ट, फ़ोन कॉल और ईमेल आते है, कि भूत प्रेत बाधा निवारण के कोई अमोघ मंत्र बताये।

जब व्यक्ति झाड़ा झपटा, मंत्र डोरा करने लग जाता है तो उसका भी पाला पड़ सकता है , जो भूत-प्रेत, डाकिनी एवं अन्य ऊपरी ग्रसित व्यक्ति से ऐसी अवस्था में कुशल व दक्ष मंत्र शास्त्री को पहले किसी हनुमानजी के सिद्ध पीठ मे जाकर मंत्र सिद्धि कर लेनी चाहिए।

किसी भी वक्त इन मंत्रों का उचित प्रयोग किया जा सके। सुर्य-चंद्र ग्रहण के समय  मंत्र को सिद्ध कर ले । बालको को नज़र लग जाने अर मोर के पंख से 11 बार झाड़ दे । व्यक्ति को राहत , सुख व शांति होगी।

मंत्र:


ॐ नमो आदेश गुरु को , ॐ नमो नज़र जहा पर पीर न जानी , बोले छल सो अमृत वाणी। कहा नज़र कहा से आई, यहां की ठोर तोहि कौन बताई। कौन जात तेरी, कंठाम, किसकी बेटी, क्या तेरो नाम। कहा से उड़ी कहा को जाया, अब ही बस, कर ले तेरी माया। मेरी जात सुनो चित लगाय, जैसी होय सुनाऊ आय। तेलन, तमोलन, चुहड़ी, चमारी, कायथनी, खतरानी, कुम्हारी। महतरानी, राजा की रानी, जाको दोष ताहि सिर पड़े। हनुमंत वीर नज़र से तेरी रक्षा करे। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा।



गुरु कौन है और कहाँ मिलेंगे ?

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जीव का वास्तविक स्वरूप यही है की वह श्रीकृष्ण का सनातन दास है
जीवेर स्वरूप हय कृष्णेर नित्य दास (चैतन्य चरितामृत)|
जिनकी वाणी में जीव को उसके स्वरूप-धर्म (कृष्ण-दासत्व) में प्रतिष्ठित करने की गुरुता (क्षमता) हैवही गुरुहैं|
आध्यात्मिक जगत में प्रमुखतः *चार प्रकार के गुरु* माने जाते हैं
(१) दीक्षा-गुरुजो वैदिक विधि से शिष्य को वैदिक मंत्र प्रदान करते हैं
(२) शिक्षा-गुरुजो सत्संग के द्वारा भक्ति का उपदेश प्रदान करते हैं
(३) चैत्य-गुरुसभी जीवों के ह्रदय में स्थित परमात्मा ही सब को अच्छे-बुरे का ज्ञान प्रदान करते हैंवे ही सबके चैत्य-गुरु हैं|
(४) पथ-प्रदर्शक गुरुवे जो हमें यथार्थ गुरु का आश्रय दिलवाते हैं|

*गुरु कैसे होने चाहियें?*

चैतन्य चरितामृत में आता है
किब विप्र किब न्यासी शूद्र केने नय ।
जेइ कृष्ण तत्त्ववेत्ता सेइ गुरु हय ॥
चाहे कोई ब्राह्मण हो, संन्यासी हो, अथवा किसी ने शूद्रों के कुल में ही क्यों जन्म ग्रहण किया होकिन्तु यदि वह व्यक्ति कृष्णतत्त्व के अनुभवी हैं तो वह मनुष्यमात्र के गुरु हैं|

अपना उद्धार चाहने वाले सभी व्यक्ति चार वैष्णव सम्प्रदायों में से किसी एक में दीक्षा ले सकते हैं क्योंकि इन्हीं चार सम्प्रदायों में ही वैदिक ज्ञान तथा भक्ति अपने यथार्थ स्वरूप में प्रवाहित होती है
*(१) ब्रह्म सम्प्रदाय (२) श्रीसंप्रदाय (३) रूद्र संप्रदाय (४) कुमार संप्रदाय*

इसी लिए *गर्ग संहिता (१०/१६/२३-२६)* में इस प्रकार का वर्णन आता है :
*वामनश्च विधि शेषः सनको विष्णुवाक्यतः|
धर्मार्थ हेतवे चैते भविष्यन्ति द्विजः कलौ||
विष्णुस्वामी वामनान्षतथा मध्वस्तु ब्राह्मणः||
रामानुजस्तु शेषांश निम्बादित्य सनकस्य च|
एते कलौ युगे भाव्यः सम्प्रदाय प्रवर्तकः|
संवत्सरे विक्रम चत्वारः क्षिति पावन:||
सम्प्रदाय विहीना ये मंत्रास्ते निष्फल: स्मृत:|
तस्माच्च गमनंह्यSस्ति सम्प्रदाय नरैरपि||*

*अर्थात*– ‘ भगवान् वामन, ब्रह्मा जी, अनंत-शेष एवं सनकादी चार कुमार भगवान् विष्णु के आदेश से कलि युग में ब्राह्मणों के कुल में जन्म लेंगे| विष्णुस्वामी वामन के अंश से, मध्वाचार्य ब्रह्मा जी के अंश से, रामानुजाचार्य अनंत-शेष के अंश से एवं निम्बादित्य सनक के अंश से कलियुग में प्रकट हो चार वैष्णव-सम्प्रदायों के प्रवर्तक होंगे| यह सभी विक्रमी संवत के प्रारम्भ से ही चारों दिशाओं को पवित्र कर देंगे| कलियुग में जो मनुष्य इन चार वैष्णव-सम्प्रदायों में दीक्षा से विहीन होते हैंउनके द्वारा जपे हुए मन्त्र इत्यादि सभी निष्फल होते हैं| अत: कलियुग में अपना कल्याण चाहने वाले सभी मनुष्यों को इन्हीं चार सम्प्रदायों में मन्त्र-दीक्षा ग्रहण करनी चाहिए|’

मध्यकाल में बंगाल को गौड़देश कहा जाता था| चैतन्य महाप्रभु तथा उनके अधिकांश पार्षदों नें गौड़देश में ही अवतार लिया| इसीलिये चैतन्य महाप्रभु की आराधना करने वालों को सामान्यत: गौड़ीय वैष्णव कहा जाता है| गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय ब्रह्म सम्प्रदाय के अंतर्गत आता है|

*प्रेषक: ISKCON Desire Tree-हिंदी*
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ब्रह्म दोष/ब्रह्म राक्षस

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ब्रह्म दोष सबसे ताकतवर होता है, ब्रह्म दोष ब्राह्मण की शक़्क्तिशाली आत्मा होती है, जिसके साथ धोखे हुआ हो या हत्या हुई हो।
जहाँ उपरोक्त दोष होगा, वहाँ बहुत सी परेशानी होती है। ब्रह्म दोष के कारण और पहचान निम्न है:-

1, घर का एक कोना फटा हुआ या तड़का हुआ होगा।
2, घर में पुत्र सन्तान नही होंगी या कोई भी संतान नही होगी।
3, अकाल मृत्यु जाएदा होती है।
4, सुसराल में आपकी पत्नी के सिवाए कोई नही होगा।
5, घर की बेटी की या बेटे की शादी में अड़चन होती रहेगी।
6, घर में विधवा अधिक होंगी।
7, घर का कोई भी विवेक हीन या पागलो की तरह बात करता होगा या घूमता होगा।
8, किसी को सफेद दाग या फूल होगा यह इस दोष की तीसरी या चौथी पीढ़ी होती है।
9, यह दोष व्यक्ति को खाने खाने के लिये मोहताज़ कर देता है।
10, अति तो तब होती है जब आपके खाने में कीड़े पड़ने लगते है।
11, कोई भी कार्य बिना परेशानी के नही होता होगा तो देर से आदि।

दोस्तों इस दोष में विद्वानों के अलग अलग उपाय है। पुराणो में लिखा है कि जब भैरव जी ने ब्रह्मा जी का पांचवे सर काट दिया था, तो उनको भी ब्रह्म हत्या का पाप लगा था और भैरव जी पूरी पृथ्वी पर ब्रह्मा जी का कटा सर लेकर घूमते रहे । आगे आगे भैरव जी उनके पीछे पीछे ब्रह्म दोष। जब भैरव जी काशी पहुचे तब उनको ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिली। भैरव जी तो शक़्क्तिशाली थे , हम तो निर्मल मनुष्य है।

अगर आपको भी इस प्रकार की परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, तो आप हमसे संपर्क कर सकते है।



कार्यो में सफलता

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कभी कभी हमारे लाख प्रयास करने के बाद भी हमे असफलता ही हाथ आती है। एक बार यह टोटका भी अजमा के देखिए । ईश्वर आपकी हेल्प करेंगे।


जब भी घर से बाहर किसी कार्य के लिए निकले तो 2 लौंग का जोड़े ले एक सूर्य भगवान को अर्पित कर दे तथा दूसरा जोडा आप खुद ग्रहण कर ले और अच्छे से चबाये।

फिर एक लाल गुलाब ले उसे हाथ में लेकर प्राथना करे जिस कार्य के लिए आप जा रहे है, उसके लिए उस लाल गुलाब को आप अपने बाये तरफ ऊपर जेब में  रख कर जाए।

अगर किसी से अपनी उधारी लेने जा रहे है तो उनके मिलने वाले स्थान पर जैसे ही आप वहाँ प्रवेश द्वार पर जाए तो गुलाब को प्रवेश द्वार में प्रवेश करते ही दाये तरफ अंदर की और फेक दे आपको अच्छे परिणाम हासिल होंगे। ईश्वर आपकी हेल्प करे।





शराब मुक्ति हेतु प्रयोग

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आज नशा सबसे बड़ी परेशानी है , नशे से परिवार तो परेशानी में है ही साथ ही साथ ही साथ अपने शरीर को कमज़ोर करना और भयंकर बीमारियो से अपने आपको परेशानी में डालना।

आज में आपको शराब मुक्ति हेतु कुछ प्रयोग बता रहा हूँ । ईश्वर आपकी ज़रूर मदद करेंगे।

सबसे पहले अपने खानपान को सही करे। समय से सोये प्रातः जल्दी उठते हुए कुछ योगा या व्यायाम करें। फिर कुछ समय ईश्वर की पूजा में भी दे और ईश्वर से अपने ग़लत आदतों के लिए निवेदन करे तथा संकल्प करें। ईश्वर आपकी ज़रूर हेल्प करेंगे। सबसे पहले गुरु का ध्यान करे अगर गुरु न हो तो मंगलाचरण का पाठ करे फिर 1 माला गायत्री की करे। 1 माला मतलब 108 बार मंत्र जाप। फिर निम्न मंत्र का जाप करे:-

मंत्र :

ॐ श्री घंटाकर्णो महावीर (खुद के लिए मम/ किसी अन्य के लिए उसके नाम का प्रयोग करे) सर्व मध मांस भक्षणं दोषं नाशय नाशय दूरी कुरु कुरु स्वाहा।

विधि:- मंगलवार से शुरू करे। पहले मंगलवार को 21 माला का जाप करे, फिर अगले दिन से एक माला रोज जाप करे। श्री घंटाकर्णो महावीर का चित्र हो तो उत्तम नही हो तो आप श्री हनुमानजी के चित्र के सामने या हनुमान जी के मंदिर में जाप कर सकते है। आपकी धीरे धीरे शराब की लत दूर होगी। ईश्वर आपकी ज़रूर हेल्प करेंगे।


नोट: आप हमे भी संपर्क कर सकते है 

गुरु ग्रह की महिमा

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गुरु अगर खराब हो तो शादी में रुकावट, धन में रुकावट, पितृ दोष, सन्तान में परेशानी, पेट संबंधी बाइनरी आदि गुरु के कारण ही होते है।

गुरु के साथ राहु हो तो गुरु चांडाल योग अगर यह सब योग हो तो जीवन परेशानी से भरा होता है।
सबसे अच्छा उपाय है केले की पूजा करे।
एक सबूत हल्दी अपने पास हमेशा रखे
सवा 5 रत्ती का सोनेला या पुखराज धारण करे।

किसी विद्यालय में बच्चों को मुफ्त बुक बाटे
या गुरुवार को शिवलिंग पर केले चढ़ाये आदि

जन्म पत्रिका से कालपुरुष का विचार

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कालपुरुष का विचार
लग्न से सिर का
द्वितीय भाव से मुख और गले का
तृतीय भाव से वक्षःस्थल व फेफड़े का
चतुर्थ भाव से हृदय और छाती का
पंचम भाव से कुक्षि और पीठ का
षष्ठ भाव से कमर और आंतों का
सप्तम भाव से नाभि से लिंग तक( योनि तक)
अष्टम भाव से लिंग(योनि) और गुदा
नवम भाव से ऊरु और जाँघ का
दशम भाव से घुटनों का
एकादश भाव से पिंडलियों का
द्वादश भाव से पैर का

उपरोक्त भाव से उपरोक्त शरीर के अंगों का विचार भाव में स्थित राशि और ग्रह की से किया जाता है।


पितृ दोष

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अगर आपके घर में कलह है।

रोज़ी रोजगार से परेशान है।

पति पत्नी में अनबन है।

कमाई के बाद भी घर की ज़रूरते पूरी न होती हो।

 पिता पुत्र में अनबन हो।

कमाई से ज्यादा बीमारी से परेशान हो।

बार बार सर्प दंश का भय होता हो।

सपनो में पानी या छोटा बच्चा दिखाई देता हो।

घर का कोई सदस्य नशे का आदि हो।

संतान कहना न मानता हो या संतान को पीटा जाता हो।

घर मे पत्नी को कमर में दर्द हो ।

यह सब लक्षण पितृ दोष को बताते है।

उपाय:-
सर्वप्रथम रविवार के दिन 2 पेड़े 5 अगरबत्ती कच्चा दूध देशी घी का दीपक लेकर पीपल के पेड़ की 7 परिक्रमा कर और 108 बार ॐ पित्र देवाय नमः का जाप कर अपने कष्टो के निवारण हेतु प्राथना करे।


अधिक परेशानी हो तो हमसे संपर्क करे।

सिध्कुंजिका मंत्र सिद्धि

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दोस्तो आज में सिध्कुंजिका मंत्र सिद्धि के बारे में बताता हूँ।


अगर आप सिध्कुंजिका को सिद्ध करना चाहते है, तो सबसे पहले दीक्षा लीजिये। जिससे आपको गुरु की देख रेख में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।

सबसे पहले आप किसी माता के सिद्ध पीठ में अच्छे मूहर्त में जाये। फिर माता की पूजा कर प्रार्थना करे अपनी सफलता के लिये।

फिर कोई भी एक नैवेद्य लेकर माता के सिद्ध पीठ में  108 बार सिध्कुंजिक का पाठ करे।

हर पाठ के बाद माता को एक नैवेद्य चढ़ाय जैसे हम हवन में आहुति देते है वैसे 3 उंगलियों के उपयोग करके अंगूठे माध्यम और अनामिका का उपयोग करके।

यह जरूर याद रखे 108 बार पाठ में 1 बार भी पाठ के उच्चारण अशुद्ध नही होना चाहिए, अगर अशुद्ध होता है तो फिर से 108 पाठ करना होगा।

बस आपका मंत्र सिद्ध हो जाएगा। इस पाठ को सिद्ध करने के बाद आप हर कार्य कर सकते है।

ईश्वर आपकी मदद करे।


सावन में कीजिये भोलेनाथ की आराधना

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सावन माह में भोलेनाथ की आराधना करने से सब मनोरथों की पूर्ति होती है।

अगर आप बीमार है, तो




मंत्र:

ॐ जूम सह (मम/अपना नाम/जिसके लिए आप जाप कर रहे है उसका नाम) पालय पालय सह जूम ॐ


- पहले दिन 21 माला फिर 5 माला रोज़ 11 या 21 दिन तक । आपको जरूर भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होगी।

सारे दोष जन्म पत्रिका के हमे नही लगते

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यह किस्सा है, जून 2003 का एक जन्म पत्रिका मेरे पास आई जब उस पत्रिका कि जाच और जो हमने बताया वोह सब सुनकर वो सज्जन जन्म पत्रिका लेकर चले गए।

उसके कुछ दिन बाद जिसकी पत्रिका थी वो सज्जन मेरे पास आये और कहने लगे , की आपकी सब बातें झूट  है आप को कुछ पता नही है बस आप यहां सब से झूठ बोलते हो ।

मैंने तो उनकी बात सुनी फिर सोचने लगा ऐसा कैसे हो सकता है मैंने कहा था पत्रिका को देख कर यह जातक उच्च शिक्षा नही कर सकता लेकिन वो जातक उच्च शिक्षा के साथ साथ इंजीनियर और अच्छी जॉब में था।

शारीरिक कलर और कद भी जातक का जन्म पत्रिका से अलग था। यानी जो कहा सब झूट निकला अब  ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ, की मेरी कही हुई बात झूट हुई।

मैंने जातक कहा फिर तो आपकी यह कुंडली नही हो सकती किसी दूसरे की यह जन्म पत्रिका है। उसने कहा कि नही जन्म पत्रिका भी मेरी है।

अब मैंने जातक से कहा ठीक है , आप कुछ देर बैठिये और आपकी जन्म पत्रिका दिखाईये  वो बोला लीजिये दुबारा भी देख लीजिए।

फिर में उस जन्म पत्रिका की फिर से जाँच करने लगा, काफी जाँच के बाद में कहाँ देखिए मुझे आप से 1 नही10 सवाल करने है, उसका आप उत्तर दीजिये उसने कहा ठीक है , जब जन्म पत्रिका सही है जातक भी सही है तो पत्रिका का दोष किसको लगा।

अब उस जातक ने जातक ने सारे मेरे सवाल का उत्तर दिया, तो समझ आया कि कुंडली के सारे दोष उसके ही परिवार में है लेकिन इस जातक पर कोई भी असर नही है।

फिर उस जातक को सब बताया कि तो उसे भी बहुत अजीब लगा कि यह सब भी जन्म पत्रिका में होता है। अब इस घटना के बाद में आज तक जब कोई जन्म पत्रिका जाँच करता हूँ । तो सब बात जन्म पत्रिका बाले जातक पूछता हूँ । तब ही निर्णय लेकर कुछ बोलता हूँ।

प्रिय पाठकों यह घटना मैंने बस इसलिये पोस्ट की है , गलती तो किसी से भी हो सकती है। अगर गलती की है, तो उससे मानना भी चाहिए। ऐसा नही है , गलती किसी से नही होती है।


शिव शंकर की महिमा

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मेरे पास एक सज्जन पिछले 10 वर्षों से आते है, उनका नाम तो नही लिखूंगा। पिछले 3 बर्षो से वो शारिरिक पीड़ा से परेशान है।

उन्होंने पंडित जी से सलाह ली तो पंडित जी ने उनको उपाय बताया


1- शिव लिंग पर गुरुवार को 5 नीबू चढाओ

2- किसी कोड़ी को भोजन कराओ

3, किसी एक आंख वाले को एक बोतल शराब की दो या सेवन कराओ आदि

इन सज्जन ने सारे उपाय किये बहुत फायदा भी हुआ। अब जाएदा फायदा के चक्कर में किसी भगत/तांत्रिक से मिले लेकिन जो उपाय वो कर रहे थे वो करना बंद कर दिया यहां में आपको यह लेख केवल एसलिये लिख रहा हूँ, की आप जो भी करो दिल से करो और विश्वास के साथ ईश्वर आपकी हमेशा मदद करेंगे।

अब भगत/तांत्रिक ने इन सज्जन से बोले कि आपको आपके मित्रो दुवारा अभिचार किया हुआ है। और में ही आपको ठीक कर सकता हूँ। कुछ ढोंगी के चक्कर में सच्चे लोग भी बदनाम है।

अब होता है कि यह सज्जन मान गए फिर किया था, इन सज्जन ने उनके तय पैसे दे दिए।

अब इनकी स्थिति पहले से भी जाएदा खराब हो गयी । कुछ दिन बाद फिर उस तांत्रिक के पास गए उन्होंने बोला कि मैंने तो आपका उपाय कर दिया है। आपके कुलदेवता/कुलदेवी नाराज है और आपके मित्रो ने फिर से आपके ऊपर मरण का प्रयोग किया है।

फिर क्या था, इन्होंने उनको फिर पैसे दिए और फिर अपने ठीक होने का इंतजार करने लगे, मेरे यहां आने लगे शर्म से न मुझे कुछ बताते और न ही उन पंडित जी के पास गए।

मैंने देखा उनके शरीर की हालत दिन पर दिन खराब होने लगी । फिर एक दिन उनसे मैंने पूछा क्या हुआ आपको आप तो बहुत खराब स्थिति में हो, फिर उन्होंने अपनी सारी बात मुझे बताई । मुझे समझ आने लगा। मैंने उनसे कहा कि आप पंडित जी से यह सब बताते तो बोले की शर्म से में उनके पास नही जा सका और न आपसे बता सका मैंने कहा ठीक है।

आप एक काम करो सब से पहले आप शिव लिंग पर रुद्र अभिषेक करो फिर मुझे बताना क्या स्थिति है आपकी। फिर करीब 7 दिन बाद मेरे पास आये बोले कि अब में पहले से ठीक हूँ।

फिर मैंने उनका 125000 महामृत्युंजय का जाप किया और उनकी हालत में धीरे धीरे सुधार होने लगा। आज वो शरीर से भी स्वस्थ है , और रोजगार से भी ठीक है।

दोस्तो शिव शंकर की महिमा अपरम्पार है । जिसे बताने के लिए मेरे पास शब्द नही है। और मूर्ख शिव की महिमा का बखान भी नही कर सकता क्योंकि शिव की लीला अपार है।

दोस्तो हमेशा ईश्वर पर विश्वास रखो वो आपके हर कष्ट को ज़रूर दूर करेंगे और आपकी इच्छा ज़ुरूर पूरी करेंगे।

यहां बस इतना ही।

ॐ नमः शिवाय, भोलेनाथ आपकी सब मनोकामना पूरी करें।

अगर आपको भी कोई समस्या है तो आप हमे सम्पर्क कर सलाह ले सकते है। मन्त्र जाप या अनुष्ठान करना चाहते है तो भी आप सम्पर्क कर अनुष्ठान करा सकते है।


शनि देव की महिमा

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प्रिय पाठकों

आज में आपको शनि देव की महिमा के बारे में बताना चाहूंगा, सज्जनों अभी तक जो मेरा अनुभव है , वो अलग है, शनि देव बहुत ही न्याय प्रिय देव है। अगर हमने किसी को कष्ट नही दिया है तो हमारा भला ही करेंगे । मैंने देखा है अगर शनि अकेले है तो कभी किसी को नुकसान नही देते।

शनि देव अगर खराब है तो आपको कष्ट ज़रूर देंगे वही आपकी नौकरी भी शनि देव की कृपा से मिलेगी । शनि को प्रसन्न करने के लिये आप शनि देव, हनुमानजी, भैरव जी, माता दुर्गा, माता काली और भोले नाथ की सेवा कर सकते है।

यदि आप पहले से ही आराधना कर रहे है, तो और भी अच्छा है। वैसे तो शनिदेव की दृष्टि ही काफी है कष्टो के लिये।


वशीकरण के शक्तिशाली मंत्र

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आज मै आपको एक वशीकरण साधना बता रहा हूँ। जिसे मैंने स्वयं तरुणावस्था में प्रयोग किया था।  मैं उन दिनों इंटरमीडिएट का छात्र था। एक लड़की से मुझे लव हो गया था। और आप जानते ही है, किसी को किसी से लव हो जाये तो क्या होता है ना दिन और ना रात हमेशा बस उनकी याद मेरा भी यही हाल था। लेकिन मैंने उस लड़की को बताया भी लेकिन उसने इंकार कर दिया।

अब मेरा पागलपन बहुत जायेद हो गया बिना उनको देखे रहा नही जाता अब आपको पता ही है कि जब एक तरफा प्यार हो तो कम से कम दूर से ही देख लू तो दिल को शांति मिलती थी। रोज़ का मानसिक कलेश।

मुझे वाराणसी जाना था एक रिश्तेदार की शादी में । में वाराणसी गया शादी में फिर अगले दिन मैंने अपने रिश्तेदार के लड़के से कहा तो वो बोले शाम को कही चलना है, आप मेरे साथ चलना मैंने कहाँ ठीक है।

बस अब शाम का इंतजार था, फिर रिश्तेदार के साथ मैं एक पण्डित स्वर्गीय श्री राम अवध पांडेय जी के पास गया। मैं आपको बता दु पण्डित का स्वर्गवास 25 मार्च 2008 में हो गया है। मैंने देखा एक 70 वर्ष के एक बुजुर्ग सामने थे , फिर उन्होंने पूछा किया चाहते हो। मैंने भी उनसे अपनी सब बातें बता दी फिर मैंने कहा बाबा जी आप क्या करोगे तो वो हँसने लगे मुझे उन्होंने एक मंत्र दिया और विधि बताई। मैंने कहा बाबा क्यो बेवकूफ बना रहे है आप यह सब कही होता है, किया ?

फिर बाबा जी बोले अगर आपकी चाहत सच्ची है, तो ज़रूर लेकिन आपको उस लड़की को ही जीवनसाथी बनाना होगा। अगर किसी गलत इरादा हो तो उल्टा आपको नुकसान होगा । मैंने कहा ठीक है ।

फिर में खुशी खुशी अपने घर आ गया फिर विधि अनुसार फ़ोटो का इंतजाम करने में ही 20 दिन लग गए।

फिर मैंने विधि अनुसार शुरू किया लेकिन कुछ नही हुआ दिल में बैचेनी जाएदा हो गयी। फिर मैं वाराणसी गया मैंने कहा बाबा आपको मेरे सिवा कोई नही मिला बेवकूफ बनाने को बाबा जी ने कहा  ऐसा नही हो सकता उन्होंने पूछा आपने उससे बात की मैंने कहा नही बाबा जी वो मेरे घर शिकायत कर देती है । मेरे पिताजी मुझे पीटने लगते है, वो बोले डरो नही जा कर बात करो कुछ नही होगा और फिर से दुबारा साधना करो।

मुझमें कुछ हिम्मत आयी मैंने कहा ठीक है, मैंने फिर मंत्र जाप किया लेकिन डरते डरते 5 दिन में हिम्मत करके उस लड़की से बात की , इस बार वो हँसने लगी और अब घर जाना था तो डर से हालात खराब हो रही थी लेकिन घर पर इस बार उसने कुछ नही बोला फिर किया था, मेरी हिम्मत बढ़ गयी फिर धीरे धीरे हम रोज़ मिलने लगे फिर कुछ समय बाद उसने अपने घर मैंने अपने घर बता दिया। पहले तो घर वाले माने नही फिर कुछ दिन बाद घरवाले बोले ठीक है , जब तुम्हारी पढ़ाई पूरी हो जाएगी तुम जॉब करने लग जाओगे। तब शादी कर देंगे।

लेकिन शायद ईश्वर को यह ही मंजुर था , उस लड़की की एक बीमारी में मृत्यु हो गयी। ईश्वर उसकी आत्मा को शांति दे। इस जन्म में न सही अगले जन्म में मिलना हो।

मंत्र:

           ॐ हाँ ग जूं सः ( नाम ) मे वश्य वश्य स्वाहा।


विधि:-
         जिस किसी को वश में करना हो उसका फ़ोटो अपने साधना कक्ष में लगा कर और एक दीपक जलाकर 125000 मंत्रो का जाप कर ले।


         यहां में पूरी विधि नही दे रहा हूँ , क्योकि इसका गलत प्रयोग किसी का जीवन खराब कर सकता है। जिसको इस मंत्र की पूरी विधि चाहिए। वो मुझसे संपर्क कर सकता है। वशीकरण  का प्रयोग कभी भी गलत उद्देश्य से नही करना चाहिये। एक गलत प्रयोग से किसी का भी नुकसान हो सकता है।