यह
किस्सा है, जून 2003 का एक
जन्म पत्रिका मेरे पास आई जब उस पत्रिका कि जाच और जो हमने बताया वोह सब सुनकर वो
सज्जन जन्म पत्रिका लेकर चले गए।
उसके कुछ
दिन बाद जिसकी पत्रिका थी वो सज्जन मेरे पास आये और कहने लगे , की आपकी सब बातें झूट
है आप को कुछ पता नही है बस आप यहां सब से झूठ बोलते हो ।
मैंने तो
उनकी बात सुनी फिर सोचने लगा ऐसा कैसे हो सकता है मैंने कहा था पत्रिका को देख कर
यह जातक उच्च शिक्षा नही कर सकता लेकिन वो जातक उच्च शिक्षा के साथ साथ इंजीनियर
और अच्छी जॉब में था।
शारीरिक
कलर और कद भी जातक का जन्म पत्रिका से अलग था। यानी जो कहा सब झूट निकला अब
ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ,
की मेरी कही हुई बात झूट हुई।
मैंने जातक
कहा फिर तो आपकी यह कुंडली नही हो सकती किसी दूसरे की यह जन्म पत्रिका है। उसने
कहा कि नही जन्म पत्रिका भी मेरी है।
अब मैंने
जातक से कहा ठीक है , आप कुछ
देर बैठिये और आपकी जन्म पत्रिका दिखाईये वो बोला लीजिये दुबारा भी देख
लीजिए।
फिर में
उस जन्म पत्रिका की फिर से जाँच करने लगा, काफी जाँच के बाद में कहाँ देखिए मुझे आप से 1 नही10 सवाल करने है, उसका आप उत्तर दीजिये उसने
कहा ठीक है , जब जन्म
पत्रिका सही है जातक भी सही है तो पत्रिका का दोष किसको लगा।
अब उस
जातक ने जातक ने सारे मेरे सवाल का उत्तर दिया, तो समझ आया कि कुंडली के सारे दोष उसके ही परिवार में है लेकिन इस
जातक पर कोई भी असर नही है।
फिर उस
जातक को सब बताया कि तो उसे भी बहुत अजीब लगा कि यह सब भी जन्म पत्रिका में होता
है। अब इस घटना के बाद में आज तक जब कोई जन्म पत्रिका जाँच करता हूँ । तो सब बात
जन्म पत्रिका बाले जातक पूछता हूँ । तब ही निर्णय लेकर कुछ बोलता हूँ।
प्रिय
पाठकों यह घटना मैंने बस इसलिये पोस्ट की है , गलती तो किसी से भी हो सकती है। अगर गलती की है, तो उससे मानना भी चाहिए।
ऐसा नही है , गलती
किसी से नही होती है।
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